Friday 10 November 2017

परमपूज्या साध्वी ऋतम्भरा जी से रूबरू होने का सुअवसर मिला | संतों के चिंतन में समाज के कल्याण का स्वार्थ निहित होता है |  पटना के ऐतिहासिक गाँधी मैदान में आयोजित श्रीमद्भागवत कथा के दौरान उन्होंने कहा की भारत की सात्विकता को अगर जीवित रखना है तो हमें संस्कृति के चरणों में बैठना होगा | उन्होंने भ्रूण हत्या, प्रकृति के अनादर जैसे महत्वपूर्ण मुद्दों पर अपनी चिंता व्यक्त की | भारत के बदलते तस्वीर के बारे में उन्होंने अपनी व्यथा व्यक्त की - भारत तो  विश्वगुरु बनने निकला था लेकिन खुद ही बदल गया गया पाश्चात्य की रूखी  हवाओं में |