परमपूज्या साध्वी ऋतम्भरा जी से रूबरू होने का सुअवसर मिला | संतों के चिंतन में समाज के कल्याण का स्वार्थ निहित होता है | पटना के ऐतिहासिक गाँधी मैदान में आयोजित श्रीमद्भागवत कथा के दौरान उन्होंने कहा की भारत की सात्विकता को अगर जीवित रखना है तो हमें संस्कृति के चरणों में बैठना होगा | उन्होंने भ्रूण हत्या, प्रकृति के अनादर जैसे महत्वपूर्ण मुद्दों पर अपनी चिंता व्यक्त की | भारत के बदलते तस्वीर के बारे में उन्होंने अपनी व्यथा व्यक्त की - भारत तो विश्वगुरु बनने निकला था लेकिन खुद ही बदल गया गया पाश्चात्य की रूखी हवाओं में |
SOCIAL POLITICAL AND CULTURAL ANALYSIS
Friday, 10 November 2017
Tuesday, 4 April 2017
राष्ट्र की अस्मिता , हमारी सांस्कृतिक और आध्यात्मिक ऊर्जा के स्रोत एवं संजीवनी, हमारे जीवन के आधार मर्यादा पुरुषोत्तम श्रीराम की चरण धूलि हम सबको प्राप्त हो ।
॥ नमो राघवाय ॥
राम नवमी की हार्दिक वधाई एवं शुभ कामनायें ।
जय जय सुरनायक जान सुखदायक प्रनतपाल भगवंता ।
गो द्विज हितकारी जय असुरारी सिंधुसुता प्रिय कंता ॥
पालन सुर धरनी अद्भुत करनी मरम न जाने कोई ।
जो सहज कृपाला दीनदयाला करउ अनुग्रह सोई ॥
नौमी तिथि मधुमास पुनीता, शुक्ल पक्ष अभिजीत हरिप्रीता ।
मध्य दिवस अति सीत न धामा, पवन काल लोक विश्रामा ॥
॥ नमो राघवाय ॥
राम नवमी की हार्दिक वधाई एवं शुभ कामनायें ।
जय जय सुरनायक जान सुखदायक प्रनतपाल भगवंता ।
गो द्विज हितकारी जय असुरारी सिंधुसुता प्रिय कंता ॥
पालन सुर धरनी अद्भुत करनी मरम न जाने कोई ।
जो सहज कृपाला दीनदयाला करउ अनुग्रह सोई ॥
नौमी तिथि मधुमास पुनीता, शुक्ल पक्ष अभिजीत हरिप्रीता ।
मध्य दिवस अति सीत न धामा, पवन काल लोक विश्रामा ॥
Saturday, 1 April 2017
Had been hearing the victims of triple talaq on a TV debate today. The hidden pain of muslim women is now coming out.......That is clearly visible from their new found consciousness and radical voice for revolt against triple talaq. In most cases, Triple talaq is being given if the women gives birth to a daughter. These victims of opression have raised their voice against the exploitation and monopoly of these chauvinst mullahs. India is a secular country and is guided by our sacred text, our constitution. Thus is the time for uniform civil code to end this corrupt practices.
Saturday, 18 March 2017
Yagna symbolised sacrifice- occupies a pivotal position in our cultural heritage. The term yajna carries several meanings. Offering One's individual life in the cause of social regeneration is yajna. To offer oblation all that is unworth, undesirable and unholy in us in the fire of virtues, too, is yajna. And to take a fiery path of dedication, sacrifices, service and penance is the very essence of yajna. The presiding deity of yajna is fire. Flame represents the fire and the sacred Bhagawa flag is the symbol of orange- coloured sacrifice flames.... Bunch of Thoughts by M.S. GOLWALKAR
Yogi Adityanath is offering his life for the cause of social regeneration of Uttar Pradesh and we should hope that his yajna in U.P. It will also change the political culture of U.P.
Yogi Adityanath is offering his life for the cause of social regeneration of Uttar Pradesh and we should hope that his yajna in U.P. It will also change the political culture of U.P.
Tuesday, 28 February 2017
Derailing and bringing deformity to the system has become the twin slogan of Congress and Left due to their absolute intellectual bankruptcy. They have lowered their level of thought to such an extent that they can't even distinguish between nationalism and anti national elements. Now they are even trying to pollute educational institutions. Nationalism is a very pious and sacred word and we cannot make a mockery of it. NATION is above all and would remain so forever. Freedom of speech and expression does not imply absolute freedom and does not empower us to challenge the sovereignty and integrity of the nation.
हमारे राष्ट्रवाद की सांस्कृतिक प्रवाह तो श्रीराम की मर्यादा से शुरु होती है |
हमारे राष्ट्रवाद की सांस्कृतिक प्रवाह तो श्रीराम की मर्यादा से शुरु होती है |
Saturday, 18 February 2017
राष्ट्र -ऋषि परमपूज्य श्रीगुरुजी का कोटि कोटि बंदन।
गुरूजी के कहे गए एक एक शब्द में राष्ट्र के प्रति एक अद्वितीय राष्ट्र भक्ति परिलक्षित होती है जो आज राष्ट्र के जीवन पद्धति के उचित मार्गदर्शन का कार्य करती है। राष्ट्र को उन्होंने मंदिर माना और कहा कि इस मंदिर में जो आराध्य देवी बैठी है , वह मातृभूमि है। अवश्य ही इस नव उदारवाद के युग में व्यक्तिवाद हम पर इतना हावी हो गया है कि गुरुजी द्वारा कहे गए ये शब्द हलके लगें लेकिन इसमे उनकी राष्ट्र के प्रति मार्मिक प्रेम दृष्टिगोचर होता है।
मुझे गुरूजी के ये शब्द अत्यधिक प्रिये हैं. श्री सदाशिव गोलवलकर (गुरूजी ) कहा करते थे - " मातृभूमि की भक्ति दो प्रकार से होती है - एक उसकी धूल माथे पर लगाकर और दूसरी , मातृभूमि की चिंता में तल्लीन रहने से। "
गुरूजी के कहे गए एक एक शब्द में राष्ट्र के प्रति एक अद्वितीय राष्ट्र भक्ति परिलक्षित होती है जो आज राष्ट्र के जीवन पद्धति के उचित मार्गदर्शन का कार्य करती है। राष्ट्र को उन्होंने मंदिर माना और कहा कि इस मंदिर में जो आराध्य देवी बैठी है , वह मातृभूमि है। अवश्य ही इस नव उदारवाद के युग में व्यक्तिवाद हम पर इतना हावी हो गया है कि गुरुजी द्वारा कहे गए ये शब्द हलके लगें लेकिन इसमे उनकी राष्ट्र के प्रति मार्मिक प्रेम दृष्टिगोचर होता है।
मुझे गुरूजी के ये शब्द अत्यधिक प्रिये हैं. श्री सदाशिव गोलवलकर (गुरूजी ) कहा करते थे - " मातृभूमि की भक्ति दो प्रकार से होती है - एक उसकी धूल माथे पर लगाकर और दूसरी , मातृभूमि की चिंता में तल्लीन रहने से। "
Monday, 2 January 2017
Aren't we totally ignorant of the security which the Sanatan dharma's motherly embrace can provide and the divinity of her reviving touch?.Sanatan dharma is a great science, and it has a glorious utility in the world.It's the practical philosophy of life.The importance of Sanatan Dharma can be understood only when we realize that it offers a solution to all problems facing humanity. Sanatan dharma, by the magic of her touch, can make a broken and disappointed man full and whole.Lets not see Sanatan Dharma from a pseudo-secularist prism.
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