हुंकारों से महलों की नीव उखड़ जाती ,
साँसों के बल से ताज हवा में उड़ता है
जनता की रोके राह समय में ताब कहाँ ?
वह जिधर चाहती , काल उधर ही मुड़ता है।
सबसे विराट जनतंत्र जगत का आ पहुँचा
अभिषेक आज राजा का नहीं, प्रजा का है।
रामधारी सिंह दिनकर
तुर्की की जनता ने पुनः लोकतंत्र की ताकत का सुखद परिचय दिया है जो अनुकरणीय और सराहनीय दोनों ही है।
साँसों के बल से ताज हवा में उड़ता है
जनता की रोके राह समय में ताब कहाँ ?
वह जिधर चाहती , काल उधर ही मुड़ता है।
सबसे विराट जनतंत्र जगत का आ पहुँचा
अभिषेक आज राजा का नहीं, प्रजा का है।
रामधारी सिंह दिनकर
तुर्की की जनता ने पुनः लोकतंत्र की ताकत का सुखद परिचय दिया है जो अनुकरणीय और सराहनीय दोनों ही है।
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