Monday 15 August 2016

सत्यनिष्ट, कर्तव्यनिष्ट, अनुशासननिष्ट एवं कर्मनिष्ट स्वतंत्रा सेनानी  को श्रद्धांजलि  और शत शत  नमन। 
आज लालक़िले से हमारे आदरणीय प्रधानमंत्री की उद्घोषणा भारत के इतिहास में आज तक  दी गई उद्घोषणाओं में सबसे स्वर्णिम रहा। आज ऐसा लगा भारत की राजनीतिक ,सामाजिक आर्थिक पहलुओं के अलावा सांस्कृतिक पहलू गौण रहती थी उन्होंने इसे जीवित किया। वेद से विवेकानंद तक, मोहन के  सुदर्शन से मोहन के चरखा तक ,या भीम से भीमराव आंबेडकर तक...... उन्होंने भारत की सांस्कृतिक विरासत जो माँ भारती ने अपने संस्कारों में भारतियों को दिया था हमने उसे सुसुप्त कर रखा था उन्होंने उसे  जीवित करने का प्रयास किया। उन्होंने सामजिक,आर्थिक राजनितिक और सांस्कृतिक समीकरणों का एकीकरण किया और एक holistic approach द्वारा उन्होंने लगभग सभी बिंदुओं पर प्रकाश डाला। ..... महिला सशक्तिकरण ,सामाजिक न्याय , राजनीति   की  कार्य संस्कृति या भारत की आर्थिक सशक्तिकरण , पर्यावरण या भारत की विदेश नीति, पाकिस्तान को कठोर सन्देश, आतंकवाद का समाधान या बलूचिस्तान में हो रहे मानवाधिकार का उल्लंघन के मुद्दे को उठाना या चीन के  आर्थिक सशक्तिकरण को  चुनौती देना, इन सबके अलावे  जो आज के प्रधान मंत्री के भाषण में अतुलनीय था, वह था उनकी सांस्कृतिक राष्ट्रवाद  की छाप जो हमारी चिरस्थाई विकास की आधारशिला है। 
Unsung Hero of the Freedom Movement
Vakkom Abdul Khader was a true patriot who was willing to die for the cause. He was hanged to death by British in 1943.
Jatin Das was a revolutionary freedom fighters. On the 63rd day of his hunger strike, he died. He is one of the unsung heroes of our freedom struggle.

Sunday 14 August 2016

स्वराज्य से सुराज की ओर बढ़ना और शासन की आम जनता के प्रति संवेदलशीलता ही  ७० वीं स्वतन्त्रता
 दिवस  का  संकल्प है।
जय हिन्द !! वीर भोग वसुंधरा !!