Friday 14 October 2016

किसी भी धर्म की  परंपरायें  और रीति  रिवाज मानवता  और  मानवीय मूल्यों से बड़ा नहीं है। जो रीति  रिवाज और परम्परायें  मानवीय मूल्यों पर आधारित  नहीँ  हो  उसका बहिष्कार  आवश्यक  है। एक देश, एक कानून, एक आचार सहिंता का होना  राष्ट्रीय एकता  का परिचायक  है, जो कि  सकारात्मक विकास और सांस्कृतिक  उन्नति  का    मार्ग प्रशस्त  करती है।  आधुनिक समाज को   परम्परा  और रीति  रिवाजो के आधार पर न्याय से वंचित नहीं रखा जा सकता है। मुस्लिम महिलाओं को एकजुट होकर एक आचार सहिंता का समर्थन करना चाहिये  ताकि वे न्याय से वंचित नहीं रह सके। 

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