Thursday 22 October 2015

धर्म संस्कृति और अध्यात्म भारत की ऊर्जा के स्रोत हैं। अतः संस्कृति, अध्यात्म और धर्म का विकास अगर निरंतर होता रहा तो अधार्मिक तत्व स्वतः विलुप्त होते जाएँगे और भारत अध्यात्म गुरु बनकर पुरे विश्व का मार्गदर्शन करता रहेगा। विजयदशमी का पर्व भी इसी बात का संकेत करता है कि हम धर्म की ओर सर्वथा अग्रसर होते रहें और अपने अंदर व्याप्त आसुरि  और अधार्मिक शक्तियों का विनाश करें। राम राज्य की कल्पना को पूरा करना ही भारतीय संस्कृति का आधार स्तम्भ है। आज विजयदशमी के शुभ पर्व पर सभी की मंगल कामना करते हुए हम रामचरितमानस: जो  भारत की आत्मा है , उसे अपने जीवन मूल्यों में उतारने का प्रयास करें।
जय जय सुरनायक जन सुखदायक प्रनतपाल भगवंता।
गो द्विज हितकारी जय असुरारी  सिन्धुसुता प्रिय कंता। 

No comments:

Post a Comment