डॉ राधाकृष्णन भारतीय संस्कृति के प्रणेता और सुरक्षा कवच थे। आज हम सभी का दायित्व है की हम अपनी संस्कृति को अब बौद्धिक औपनिवेशिक बंधन से मुक्त करें। शिक्षक दिवस की बहुत शुभकानाये।
प्रो राकेश सिन्हा द्वारा हिंदी विवेक में प्रकाशित लेख 'भारतीय बौद्धिकता पर मैकाले -मार्क्सवादी ग्रहण ' अद्भुत और विचारणीय है। इस लेख में सूक्ष्म और वृहत विश्लेषण के द्वारा तथ्यों के आधार पर भारतीय संस्कृति को दरकिनार करने की जो चेष्टा मैकाले समर्थक कुछ कांग्रेस और मार्क्सवादी बुद्धिजीवियों द्वारा की गई है इसमे इन सभी को उजागर करने का प्रयास किया गया है। ''औपनिवेशिक शासन का तो अंत हुआ परन्तु औपनिवेशिक संस्कृति सोच और समझ यथावत बनी रही।
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