Sunday 25 September 2016

sat sat naman

राष्ट्र के गौरव में ही हमारा गौरव है। परंतु आदमी जब इस सामूहिक भाव को भूलकर अलग -अलग व्याक्तिगत धरातल पर सोचता है तो उससे नुकसान होता है। जब हम सामूहिक रूप से अपना -अपना काम करके राष्ट्र की चिंता करेंगे तो सबकी व्यवस्था हो जाएगी। यह  मूलभूत बात है कि हम सामूहिक रूप से विचार करें , समाज के रूप में विचार करें , व्यक्ति के नाते से नहीं। इसके विपरीत कोई भी काम किया गया तो वह समाज के लिए घातक होगा। सदैव समाज का विचार करके काम  चाहिए। ......... पं. दीनदयाल उपाधयाय का अंतिम भाषण (४ फरवरी , १९६८ , बरेली , उत्तरप्रदेश )

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