Wednesday 10 June 2015

बिहार की राजनीतिक संस्कृति ने डॉक्टर श्री कृष्णसिंह  के पश्चात नयी करवट ली जिसनें  बिहार के विकास की दिशा  और दसा दोनों ही बदल डाली  और बिहार की विकास की गति  पूर्णतः विराम की ओर बढ़ने  लगी।  आज बिहार को फिर से डॉक्टर श्री कृष्ण सिंह जैसे कार्यकुशल व्यक्तित्व की जरूरत है जो पुनः बिहार को संजीवनी देने का कार्य करें ।
    डॉक्टर सिंह अपने जीवन के अंतिम चरण में कांग्रेस के कार्य संस्कृति से काफी दुःखी  रहा करते थे। उन्हें कोंग्रेस पार्टी में भाई भतीजावाद ,सत्ता की होड़ जैसी संकीर्ण भावना की बदबू आ रही थी।  उन्होँने कांग्रेस के विचारो से क्षुब्ध होकर कहा था की छोटी छोटी और तुच्छ बातो को लकेर हम किस प्रकार अपनी देश की एकता उसकी अखण्डता राष्ट्रीयता और अपने राष्ट्र के  ऊँचे आदर्श को भूल जा सकते सकते है उसका दुखद परिचय हमें मिलता है। उनका कहना था की प्रजातंत्र की सफलता प्रधानतः स्वस्थ और सुन्दर लोकमत पर निर्भर करती है। इस प्रकार के लोकमत के निर्माण के लिए सुन्दर विचारों का प्रसार अत्यंत आवस्यक है ।
                अब तय हमें करना है कि   बिहार में  अभी जो  गठबंधन हुए है उसमे क्या सुन्दर विचारो की खुशबू आ रही जो बिहार को पुनः नयी ऊर्जा दे या ये सिर्फ सत्ता में आने का  एक नया मिलन है। अब  जरूरत है हम अतीत से निकलकर वर्तमान की उज्जवल भविस्य में प्रवेश करे । 

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