Saturday, 30 January 2016
REMEMBERING MAHATMA GANDHI : a heartfelt tribute to Bapu on his punyathiti
GANDHIJI said in his book- The Young India( 26th Nov. 1936 ) that there are certain texts in religious works which might be unacceptable to those who are not chauvinists and consider women to be at par with men, bestowing them with equal rights.Civilization needs to keep pace with changing times. Those things which are contrary to the fundamentals of religion and morality should be suitably revised. He rightly remarked: Man is born of woman, he is flesh of her flesh and bone of her bone
GANDHIJI said in his book- The Young India( 26th Nov. 1936 ) that there are certain texts in religious works which might be unacceptable to those who are not chauvinists and consider women to be at par with men, bestowing them with equal rights.Civilization needs to keep pace with changing times. Those things which are contrary to the fundamentals of religion and morality should be suitably revised. He rightly remarked: Man is born of woman, he is flesh of her flesh and bone of her bone
Saturday, 23 January 2016
"अंतर के सयंम के बिना बाहर का सयंम टिकाऊ नहीं होता। भक्ति और प्रेम के द्वारा मनुष्य निःस्वार्थ हो जाता है। आदमी के मन में जब किसी व्यक्ति या आदर्श के प्रति प्रेम और भक्ति उपजती है ,,तब ठीक उसी अनुपात में स्वार्थपरता का ह्रास होता है। प्रेमाभ्यस से मनुष्य क्रमशः सभी संकीर्णताओं के ऊपर उठ कर विश्व में लीन हो सकता है। मनुष्य जैसा सोचता है ,वैसा हो जाता है। जो अपने को दुर्बल ,पापी सोचते हैं वह क्रमशः दुर्बल पापी हो जाते हैं जो अपने आपको शक्तिशाली और पवित्र मानते है वह शक्तिशाली और पवित्र हो उठते है "..... ........ नेताजी सुभाषचन्द्र बोस ('तरुणेर स्वप्न' ' )
महान राष्ट्र भक्तऔर भारतीय संस्कृति के पोषक सुभाषचन्द्र बोस को उनकी जयं
ती पर सत सत नमन।
महान राष्ट्र भक्तऔर भारतीय संस्कृति के पोषक सुभाषचन्द्र बोस को उनकी जयं
ती पर सत सत नमन।
Tuesday, 12 January 2016

Saturday, 9 January 2016
राम चरित्र की चर्चा अगर शिक्षण संस्थाओं में होने लगे और इस चर्चा में युवाओं की भागीदारी हो तो यह राष्ट्र के लिए सुखद संकेत है। परन्तु दुर्भाग्यवश दिल्ली विश्वविद्यालय में राम चरित्र पर चर्चा होने पर भी कुछ वैसे बुद्धिजीवियों, जिनकी ज्ञान की सीमायें four walls of ivory tower तक ही सीमित है उनका विरोध करना स्वाभाविक है। हमारे राष्ट्रीय चरित्र की नींव तो 'राम चरित्र ' ही है। राम तो निराधार के आधार हैं । अगर भारत की आध्यात्मिक शक्ति का प्रवाह पूरे विश्व में हो रहा होता तो आज भौतिक विकास की पराकाष्ठा पर पहुँचे अमेरिका के राष्ट्रपति ओबामा की आँखों में 'gun culture' को लेकर आँसू नहीं होते। जब राष्ट्र का विकास 'spritual alienation' से होकर गुजरता है तो वहाँ विधायी शक्तियाँ कमजोर हो जाती हैं और राष्ट्र खंडित हो जाता है। अतः विवेकान्द का सपना भारत को अध्यात्म गुरु बनाना साकार होता दिख रहा है जब शिक्षण संस्थाओं में युवाओं के चरित्र पर राम चरित्र का समागम होगा।
Wednesday, 6 January 2016
जीवन जब नीरस हो जाए
जीवन जब नीरस हो जाए
दया -धार बन आना ,जब माधुरी सभी खो जाए
गीतामृत बन आना
जिस दिन होकर कर्म प्रबलतर ढक ले चारों ओर गरज कर
हे नीरव प्रभु हिय -प्रदेश में शांत चरण धर आना।
अपने को जब बना कृपण मन पड़ा किनारे रहे अकिंचन
हे उदार प्रभु ,द्वार खोल नृप -समारोह से आना।
जब वासना विपुल रज डाले अंध अभुज को बना भुला ले हे पवित्र तुम ,हे अनिद्र तुम रूद्र वेश में आना।
रवीन्द्रनाथ टैगोर (गीतांजलि )
जीवन जब नीरस हो जाए
दया -धार बन आना ,जब माधुरी सभी खो जाए
गीतामृत बन आना
जिस दिन होकर कर्म प्रबलतर ढक ले चारों ओर गरज कर
हे नीरव प्रभु हिय -प्रदेश में शांत चरण धर आना।
अपने को जब बना कृपण मन पड़ा किनारे रहे अकिंचन
हे उदार प्रभु ,द्वार खोल नृप -समारोह से आना।
जब वासना विपुल रज डाले अंध अभुज को बना भुला ले हे पवित्र तुम ,हे अनिद्र तुम रूद्र वेश में आना।
रवीन्द्रनाथ टैगोर (गीतांजलि )
Today it is a great shame for us that our society is reaching such a cacophonious stage that even issues and objects of NATIONAL PRIDE and NATIONALSECURITY have become matters of controversy.Why are we inducing sectarian and ideological divides? Terrorism is an issue which is a great concern for national security .Similarly 'Vande Mataram' is an object of national pride and it is shameful that these two have become issues of controversy. Our nation must ensure that there is one NATIONAL VOICE an issues like these.
Saturday, 2 January 2016
जिस राष्ट्र की आत्मा उसकी संस्कृति होती है और उस संस्कृति का श्रोत अगर अध्यात्म हो ,सत्य और शिवत्व हो वहाँ विधायक शक्तियां राष्ट्र की संरचना में सहायक सिद्ध होती है। विधायक ऊर्जा से राष्ट्र उध्वारोहण की ओर बढ़कर सृजन करता है जिससे राष्ट्र की दिव्यता बढ़ती है। इसी आधारशिला से भारत में राष्ट्र का निर्माण हुआ है। विभाजन के बाद से ही पाकिस्तान तमस प्रधान संकीर्णता और नकारत्मक शक्तियों का पोषण करता रहा और हिंसा और कलह से आतंकवाद का जन्मदाता बन गया। इस आतंकवाद की पीड़ा अब तो पूरे विश्व को दिखाई दे रही है। अगर पाकिस्तान को आज पूरा विश्व एक होकर नैतिक अनुशासन में लाने का काम नहीं करेगा तो इसका दुष्परिणाम आतंकवाद के रूप में और भी घृणित एवं विनाशकारी रूप में सामने आएगा ।
पाकिस्तान की विधायक शक्तियां खंडित हो चुकी है और इस राष्ट्र के अंदर प्रभावी शक्तियों का अभिष्ट लक्ष्य ही हिंसा -कलह और आतंकवाद का फैलाव बन चुका है । वर्त्तमान परिस्थिति में ऐसे राष्ट्र से संरचना की उम्मीद ही क्या की जा सकती है?
पाकिस्तान में जन्मे ,अदनान समी जैसे और भी बुद्धिजीवियों की अगर बौधिक मूर्छा भंग हो गई हो तो भारत की सांस्कृतिक राष्ट्रवाद की विधायक ऊर्जा को अंतःकरण से समझने की कोशिश करनी चाहियें।
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