जिस राष्ट्र की आत्मा उसकी संस्कृति होती है और उस संस्कृति का श्रोत अगर अध्यात्म हो ,सत्य और शिवत्व हो वहाँ विधायक शक्तियां राष्ट्र की संरचना में सहायक सिद्ध होती है। विधायक ऊर्जा से राष्ट्र उध्वारोहण की ओर बढ़कर सृजन करता है जिससे राष्ट्र की दिव्यता बढ़ती है। इसी आधारशिला से भारत में राष्ट्र का निर्माण हुआ है। विभाजन के बाद से ही पाकिस्तान तमस प्रधान संकीर्णता और नकारत्मक शक्तियों का पोषण करता रहा और हिंसा और कलह से आतंकवाद का जन्मदाता बन गया। इस आतंकवाद की पीड़ा अब तो पूरे विश्व को दिखाई दे रही है। अगर पाकिस्तान को आज पूरा विश्व एक होकर नैतिक अनुशासन में लाने का काम नहीं करेगा तो इसका दुष्परिणाम आतंकवाद के रूप में और भी घृणित एवं विनाशकारी रूप में सामने आएगा ।
पाकिस्तान की विधायक शक्तियां खंडित हो चुकी है और इस राष्ट्र के अंदर प्रभावी शक्तियों का अभिष्ट लक्ष्य ही हिंसा -कलह और आतंकवाद का फैलाव बन चुका है । वर्त्तमान परिस्थिति में ऐसे राष्ट्र से संरचना की उम्मीद ही क्या की जा सकती है?
पाकिस्तान में जन्मे ,अदनान समी जैसे और भी बुद्धिजीवियों की अगर बौधिक मूर्छा भंग हो गई हो तो भारत की सांस्कृतिक राष्ट्रवाद की विधायक ऊर्जा को अंतःकरण से समझने की कोशिश करनी चाहियें।
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