Sunday 8 May 2016

जननी , तेरे करूँ चरण कल्याणी
देखे मैंने आज प्रभात -किरण में,
जननी, तेरी मंजुल मनहर वाणी
भर -भर उठती चुपचुप मौन गगन में।
अखिल भुवन में माथा तुझे नवाऊं सब
सब जीवन - कर्मों में शीश झुकाऊं
तन-मन-धन सब आज निछावर कर दूँ
भक्ति -धूप पवन पूजन-अर्चन में ।
जननी, तेरे करुण चरण कल्याणी
देखे मैंने आज प्रभात -किरण में ।

---- रबींद्रनाथ टैगोर (गीतांजलि )

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