Sunday, 20 March 2016


"राष्ट्र के लिए चार बातों की आवश्यकता  होती है - प्रथम भूमिऔर जन, जिसे' देश' कहतें हैं , दूसरी, सबकी इच्छा शक्ति  यानि सामूहिक जीवन का संकल्प। तीसरी एक व्यवस्था जिसे नियम या संविधान कह सकते हैं और सबसे अच्छा शब्द जिसके लियें हमारे यहाँ प्रयुक्त हुआ है , वह 'धर्म ' और चौथा जीवन-आदर्श। इन चारों का समुच्चय यानि ऐसी समष्टि को राष्ट्र कहा जाता है। जिस प्रकार व्यक्ति के लियें शरीर,मन. बुद्धि और आत्मा जरूरी है ,इन चारों को मिलाकर व्यक्ति बनता है , उसी प्रकार देश, संकल्प, धर्म और आदर्श के समुच्चय से राष्ट्र  बनता है।" ..... दीनदयाल उपाध्याय
         स्वतंत्रता  के बाद राष्ट्रवाद की गूंज पुनः राष्ट्र में एक नई ऊर्जा का संचार करेगी और ऐसे सुसुप्त अवस्था में सोएं लोगो में  राष्ट्र प्रेम की भावना को पुनः जागृत करेगी। 

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