सोई सर्बग्य गुनी सोई ग्याता। सोई महि मंडित पंडित दाता।।
धर्म परायन सोई कुल त्राता। राम चरन जा कर मन राता।।
संत ह्रदय नवनीत समाना। कहा कबिन्ह परि कहै न जाना।।
निज परिताप द्रवइ नवनीता। पर दुःख द्रवहिं संत सुपुनीता।।
महिमा निगम नेति करी गाई। अतुलित बल प्रताप प्रभुताई।।
नव वर्ष मंगलमय हो ।। जय श्री राम।।
धर्म परायन सोई कुल त्राता। राम चरन जा कर मन राता।।
संत ह्रदय नवनीत समाना। कहा कबिन्ह परि कहै न जाना।।
निज परिताप द्रवइ नवनीता। पर दुःख द्रवहिं संत सुपुनीता।।
महिमा निगम नेति करी गाई। अतुलित बल प्रताप प्रभुताई।।
नव वर्ष मंगलमय हो ।। जय श्री राम।।
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