Friday 6 March 2015

                   बी बी सी के वृत्तचित्र पर विवाद 

निर्भया मामले में बी बी सी द्वारा दिखाए गए वृतचित्र के पीछे की सोच और मकसद तो बी बी सी ही बेहतर जानती होगी । परन्तु हम भारतीयों को इस विषय पर मंथन करने की आवश्यकता है । अगर किसी माध्यम से एक बलात्कारी की सोच और मानसिकता सामने आ रही है तो हमें अपनी आँखे बंद नहीं करनी चाहिए । समाज में तथा लोगों में आई मानसिक विकृति को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता । सच्चाई से दूर रहकर किसी भी समस्या का सही समाधान नहीं निकाला जा सकता । एक सभ्य समाज में असभ्य मानसिकता क्यों जन्म ले रही है , इस बात का विश्लेषण आधारभूत स्तर पर जाकर करना होगा । भारतीय समाज को आगे आना होगा तथा इसमें जागरूकता लानी होगी । जब तक सामाजिक जागरूकता नहीं आएगी, ऐसी बुराइयों का इलाज करना कठिन है ।

आवश्यकता इस बात की है कि एक तरफ तो हम अपने सामाजिक वातावरण को बदलें एवं ऐसी परिस्थिति बनायें ताकि समाज के किसी व्यक्ति में ऐसी गलत मानसिकता जन्म न ले । दूसरी तरफ, गलत मानसिकता और गलत गतिविधि करने वालों को सामाजिक रूप से तिरस्कृत (सोसल बायकाट ) करें और यह कड़ा सन्देश दें की समाज अब गलत चीजों को बर्दाश्त नहीं करेगा । आवश्यकता है समाज में एक क्रांति लाने की । सामाजिक चेतना लाने से  ही समुचित विकास संभव है। हर चीज सरकार के भरोसे नहीं छोड़ा जा सकता । समाज में जब तक विकृत मानसिकता के बीज रहेंगे, गलत सोच फलती फूलती रहेंगी, अनैतिक एवं अमानवीय घटनाएँ घटती रहेंगी । सच्चाई से मूँह मोड़ने और आँख बंद करने से सच्चाई बदल नहीं  जाएगी । सच्चाई का सामना तो करना ही पड़ेगा । एक बलात्कारी की मानसिकता को उजागर करने वाले तथा उससे जुड़े मुद्दों को सामने लाने वाले वृतचित्र को नहीं देखना या दिखाना  तो उसी प्रकार से है कि हम समस्या को झेल रहे हैं लेकिन समस्या को जड़ से उखाड़ने के तरीके को न ढूंढें  और कारण (रुट कॉज )को नजर अन्दाज करें ।

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