Thursday 24 December 2015

MERRY CHRISTMAS !!

"जैसे राष्ट्र का आधार चिति होती है , वैसे ही जिस शक्ति से राष्ट्र की धारणा  होती है उसे विराट कहते हैं। विराट राष्ट्र की वह कर्म शक्ति है जो चिती से जागृत एवं संघटित होती है। विराट का राष्ट्र जीवन में वही स्थान है जो शरीर में प्राण का है। प्राण से ही सभी इंद्रियों को शक्ति मिलती है ,बुद्धि को चैतन्य प्राप्त होता है और आत्मा शरीरस्थ रहता है। राष्ट्र में भी विराट के सबल होने पर ही उसके भिन्न- भिन्न अवयव अर्थार्थ संस्थाएं सक्षम और समर्थ होती हैं। अन्यथा संस्थगात व्यवस्था केवल दिखावा मात्र रह जाती है। विराट के आधार पर ही प्रजातंत्र सफल होता है और राज्य बलशाली  है। इसी अवस्था से राष्ट्र की  विविधता उसकी एकता के लिए बाधक नहीं होती। भाषा ,व्वसाय आदि भेद तो सभी जगह होते हैं। किन्तु जहाँ विराट जाग्रत रहता हैं ,वहां संघर्ष नहीं होते है। हमें अपने राष्ट्र के विराट को  जागृत करने का काम करना हैं। "
                                                       दीनदयाल उपाध्याय
भारतीय  संस्कृति का  विलक्षण लक्ष्य है- 'अनेकता में एकता के सूत्र को प्रज्जवलित करकर रखना', और यही हिन्दू राष्ट्र की धरोहर है । अतः भारत में हम सभी त्योहारों को राष्ट्र की सांस्कृतिक धरोहर रूप में मानते हैं और यही हमारी सबसे बड़ी ताकत है। Merry Christmas!!

No comments:

Post a Comment