Thursday 31 December 2015

भारतीय मनीषि अरविंद के अनुसार "सच्ची आध्यात्मिकता किसी नए  प्रकाश को ,हमारे आत्मविकास के किसी अतिरिक्त साधन अथवा सामग्री को अस्वीकार नहीं करती। उसका सीधा अर्थ है अपने केंद्र को ,अपने अस्तित्व के तात्विक आचरण को , अपने जन्मजात स्वाभाव को बनाई रखना और जो कुछ भी करें या सृजित करें यदि चाहें तो भारत उन समस्याओं को नया और निर्णायक मोर    दे सकता हैं ,जिनके ऊपर मानव जाती परिश्रम कर रही है ,क्योंकि उनके हल का सुराग उसके प्राचीन ज्ञान में है। वह अपने नवजागरण के अवसर की उचाईं तक उठ पता है अथवा नहीं ,यह उसके भाग्य का प्रश्न है। "
                                   भारत का पुनजन्म
मगलमय २०१६ 

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