डिजिटल क्रांति के युग में भारत

डिजिटल क्रांति के द्वारा 'ग्लोबल विलेज ' की अवधारणा को बहुत आसानी से रिअलाइज़ किया जा सकता है। अतः इसका एक सकारात्मक पहलू यह है कि हम इसके द्वारा सांस्कृतिक क्रांति ला सकते हैं जिससे न केवल भारत बल्कि पूरे विश्व में आध्यात्मिक ऊर्जा का संचार होगा और

भारतीय सांस्कृतिक विरासत की मूल धरोहर :
सर्वे भवन्तु सुखिनः। सर्वे सन्तु निरामयाः।। सर्वे भद्राणि पश्यन्तु। माँ कश्चिद् दुःखभाग भवेत्।। का प्रचलन होगा यह भारत की तरफ से विश्व को सबसे बड़ा योगदान होगा।

आज विश्व स्तर पर हर देश अथवा समूह सिर्फ अपने -अपने बारे में सोचता है, और सभी वस्तु आधारित लाभ (मेटेरिअलिस्टिक गेन ) के लिए काम कर रहे हैं. अतः आपसी हितो के लिए आपस में लड़ते रहते हैं. सच्चाई तो यह है की यदि सामाजिक समरसता कायम करनी है तो हमें अपने हितों के साथ-साथ दूसरों के हितों का भी उतना ही ख्याल रखना होगा। पूरे विश्व को एक परिवार के रूप में स्वीकार करते हुए तथा सबके हित को ध्यान में रखकर चलना होगा।
डिजिटल युग में भौगोलिक दूरियों का असर काम हो जायेगा और आई टी के माध्यम से पूरा विश्व काफी करीब हो जाएगा. इस प्रकार से आध्यात्मिक रूप से पूरे विश्व को जोड़ने का काम भारत ज्यादा आसानी से कर सकता है.
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