Wednesday 22 July 2015

राष्ट्र भक्त  बाल गंगाधर तिलक 


परम कर्मयोगी तथा राष्ट्र   को सांस्कृतिक ऊर्जा प्रदान कर उसे नव निर्माण की ओर ले जाने वाले प्रखर राष्ट्रवादी देशभक्त तिलक को उनके जन्म दिवस (२३ जुलाई ) पर सत सत नमन। बाल  गंगाधर तिलक ने गीता रहस्य के माध्यम से निष्काम कर्मयोग का बीजारोपण कर देश को कर्म  पथ पर आगे बढ़ने का हौसला दिया।

उन्होंने केसरी और मराठा के माध्यम से  अपनी बौद्धिक क्षमता को देश के सामने रखकर अपनी कलम की ताकत से सुसुप्त अवस्था में रह रहे जनता जनार्दन को जगाया। गणेश उत्सव तथा शिवाजी के पराक्रम को उत्सव के रूप में मनाकर देश को एकता के सूत्र में बांधने का काम किया।

तिलक ने इस बात का पूरा प्रयास किया कि हम अपने सांस्कृतिक धरोहर को अपनी  विरासत समझें तथा उस पर गौरन्वित हो सके।  देश पर प्राण न्योछावर  करने वाले देशभक्तों  पर हम गर्व कर सके ताकि  इससे राष्ट्र में नई ऊर्जा का सतत संचार होता रहे। स्वदेशी को अपना हथियार और ताकत बनाकर  उन्होंने आने वाली पीढ़ी को यह सन्देश दिया की अपनी पहचान खोकर हम किसी भी कामयाबी या लक्ष्य को हासिल नहीं कर सकते।



आज की युवा पीढ़ी के लिए इस बात को समझने की जरुरत है कि अपनी पहचान खोकर पाश्चात्य संस्कृति की ओर भागना एक मृग मरीचिका की तरह है।  आज भारतमाता  को ऎसे ही देशभक्तो की जरुरत है जो देश को अपनी सेवा निष्काम कर्मयोगी की तरह से  देते रहे, जिसकी आज नितांत आवश्यकता है।   

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