Monday 6 July 2015

श्यामा प्रसाद मुख़र्जी को राष्ट्र उनके  जन्म दिवस  पर शत शत नमन करता है।  राष्ट्रप्रेम से ओतप्रोत श्री श्यामा प्रसाद मुख़र्जी, जिन्होंने राष्ट्रीय भावना को जगाने के लिए, भारत की सांस्कृतिक विरासत को अपनी धरोहर मानकर निरंतर प्रयास करते रहे और अपना सर्वस्व न्योछावर किया।
उनके विचार ऋग्वेद के निम्नलिखित श्लोक में संगर्भित  है :

" सं गच्छध्वम् , सं वदध्वम् सं वो मनांसि जनताम।
   देवा  भागम  यथा  पूर्वे ,  संजनाना       उपासते ।।"
                                                                            (  ऋग्वेद  १०-१९१-२ )
( It means, O human being ! walk unitedly, speak unitedly, your mind should think unitedly. As your ancestors accepted their parts unitedly, so you  also accept your parts unitedly. )

उनका मानना था कि राष्ट्रीय भावना जब तक विखंडित रहेगी, राष्ट्र मजबूत नहीं हो सकता।  इसलिए जरूरी है एक सोच, एक शिक्षा व्यवस्था, एक आचार संहिता आदि पर आधारित राष्ट्रीय भावना जागृत हो जो पूरी तरह से राष्ट्र  निर्माण के लिए समर्पित रहे।  हमारी सम्पूर्ण शिक्षा व्यवस्था , नागरिक व्यवस्था को  सांस्कृतिक मूल्यों की कसौटी पर मापने का प्रयास होना चाहिए ताकि वह भिन्न भिन्न पंथों  आधार पर विखंडित न रहे।  अतः राष्ट्रीय एकता के अग्रणी इस महान राष्ट्रभक्त की विचारधारा को जीवित रखना और उनके बताये  रास्ते  पर चलने  से ही सही मायने में राष्ट्र निर्माण का काम तेजी से हो पायेगा ।

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