Monday 22 February 2016

. अथर्वेद में कहा गया है  'उग्रं पश्ये राष्ट्रभृत किल्लीवषाणि ' अर्थात पापकर्म  करनेवाले को राष्ट्र के रक्षक अपनी उग्र  द्रिष्टि से देखें।  राष्ट्र की अस्मिता की रक्षा  अनुशासन -वृति और सांस्कृतिक ऊर्जा से ही संभव है। 

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