Thursday, 25 February 2016

राष्ट्र की अस्मिता को अगर कोई खंडित और प्रदूषित करने और राष्ट्र की संस्कृति से द्वेष  करने का प्रयास  करें  तो उसका उत्तर भी रूद्र रूप में ही मिलना चाहिए जैसा कि  संसद भवन में देखा गया।  एक ओर  भारत की सांस्कृतिक राष्ट्रवाद  सर्वकल्याणकारी शिव का रूप है तो दूसरी ओर राष्ट्र की  अस्मिता और संस्कृति से शत्रुता करने वाले के लिए  है रूद्र रूप भी है।  हमारी सांस्कृतिक राष्ट्रवाद का उद्घोष ही  है "वीर भोग्या  वसुन्धरा "

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