राष्ट्र की अस्मिता को अगर कोई खंडित और प्रदूषित करने और राष्ट्र की संस्कृति से द्वेष करने का प्रयास करें तो उसका उत्तर भी रूद्र रूप में ही मिलना चाहिए जैसा कि संसद भवन में देखा गया। एक ओर भारत की सांस्कृतिक राष्ट्रवाद सर्वकल्याणकारी शिव का रूप है तो दूसरी ओर राष्ट्र की अस्मिता और संस्कृति से शत्रुता करने वाले के लिए है रूद्र रूप भी है। हमारी सांस्कृतिक राष्ट्रवाद का उद्घोष ही है "वीर भोग्या वसुन्धरा "
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