सत्ता, प्रतिष्ठा , और कलम की पहुँच अंतिम तिरस्कृत और उपेक्षित व्यक्ति तक होना चाहिए । अगर ऐसा नहीं होता है तो धिक्कार है वैसी सत्ता, प्रतिष्ठा और कलम को । विचारों की कमी नहीं है ,कमी है तो उपेक्षित तिरस्कृत व्यक्तियों का उद्धार करने वालों लोगों की, उन्हें स्वीकार करने वाले लोगों की । कोई अपनी सत्ता की मद में, कोई अपनी तथाकथित प्रतिष्ठा के अहंकार में विचरण कर रहा है तो किसी की कलम सत्ता पक्ष का गुणगान कर रही है ।कैराना में हिन्दुओं का सामाजिक और आर्थिक वहिष्कार हो रहा है । किसे फिक्र है उस उपेक्षित, तिरस्कृत कैराना के हिन्दुओं की व्यथा सुनने की और उसके जख्म पर मरहम लगाने की ? तथा उन्हें फिर से पुनर्स्थापित करने की? कैराना को राजनीतिक दल अपना अपना वोट बैंक तथा हिन्दू मुस्लिम की साम्प्रदायिक महफिल नहीं बनायें । यहाँ मानवीय मूल्यों एवं मानवीय अधिकारों का हनन हुआ है। सत्ता का लाभ जब अंतिम व्यक्ति तक पहुँचता हो, कलम की लेखनी अगर अंतिम व्यक्ति तक पहुंचती हो ,प्रतिष्ठा का लाभ भी अगर देश के अंतिम व्यक्ति तक जब पहुँचता हो तो यही सामाजिक न्याय है, यही राम राज्य है। दुर्भाग्यपूर्ण है कि उत्तर प्रदेश जैसा महत्वपूर्ण प्रदेश इन सबसे पूरी तरह से वंचित है।
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