Monday 20 June 2016

अपनी समस्त प्रजा के प्रति सम भाव का होना ही राजा का धर्म है और तभी समाज में सामाजिक समरसता आ सकती है। उच्च पदों पर बैठे लोगों में  सम भाव की दृस्टि जरुरी है, चाहे किसी धार्मिक पद पर प्रतिष्ठित लोग हों या प्रशासनिक या शिक्षा के क्षेत्र में हों। ऐसा होगा तभी समाज का समुचित विकास सम्भव हो पाएगा। सम दृस्टि से ही राष्ट्र एक सूत्र में बंधेगा और प्रतिष्ठित होगा। 

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