Monday 20 June 2016

धन्य हैं भारत के साधु संत जिन्होंने अपनी ज्ञान की सीमा गुफाओं तक ही सीमित न रख कर सर्वकल्याण के लिए सर्वदा समर्पित रहे।  उन्होंने योग को जन- जन तक लाकर  पूरे  विश्व के कल्याण और मंगल  के लिए अतुलनीय योगदान दिया। योग शरीर, मन,बुद्धि, मस्तिस्क और आत्मा के बीच एक संतुलन स्थापित करता है जिसके फलस्वरूप आंतरिक और बाहरी जगत के बीच सामंजस्य स्थापित होता है। धन्य है भारत की आध्यात्मिक शक्ति जो पूरी तरह से वैज्ञानिक अनुसन्धान पर आधारित है।   भारत विश्व गुरु बनकर पुरे विश्व को आध्यात्मिक  मार्गदर्शन प्रदान कर सकता है जिसकी जरूरत आज विश्व को है । अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस का इतने बड़े स्तर पर लगभग २०० देशों द्वारा मनाना जाना एक शुभ संकेत है । 

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