Friday 24 June 2016

मोरारी बापू के आनंद मंत्र में दो सूत्र  मुझे बहुत ही समसामयिक लगी।   पहला आनंद मंत्र दान का।  दान का आशय मात्र धन का दान नहीं है , बल्कि  अपने पास जो भी शुभ  हो वह दूसरे को  देना  दान कहलाता है। भगवान शंकर महादानी है , इसलिए वे प्रसन्न हैं। दूसरा आनंद मंत्र है अमान। अमान  रहना चाहिए। संसार में मान  की अपेक्षा नहीं रखनी चाहिए। शंकर अमान है , इसलिए प्रसन्न है। 

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