Monday 20 June 2016

हिन्दू कहे मोहि राम पियारा ,तुर्क कहे रहमाना
आपस में दोउ लड़ी -लड़ी मरे , मरम ना जाना कोई।
  माँगन मरण सामान है ,मति माँगो कोई भीख
मांगन ते मारना भला , यह सतगुरु की सीख।
तिनका कबहुँ न निन्दिये ,जो पाँवन  तर होय
कबहुँ उड़ी आँखिन पड़े ,तो पीर घनेरी होय।
साईं इतना दीजिये ,जा में कुटुम समाय
मई भी भूखा न रहूँ ,साधु ना भूखा जाय।
  महान कवी कबीरदास जी को सत सत नमन। जिन्होंने भीतर की भावनओं को छुआ और मार्गदर्शन दिया। सत सत  नमन। 

No comments:

Post a Comment