Thursday 23 June 2016

मन ईश्वर की विभूति है। उसके ऊपर धूल चढ़ जाती है , तब वह धूमिल हो जाती है। रामचरित मानस का सूत्र है "जो मन का अतिक्रमण करता है , वह ब्रह्म बन जाता है। "

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